Mulyankan or Pariksha me Antar मूल्यांकन और परीक्षा में अंतर

Mulyankan or Pariksha me Antar (मूल्यांकन और परीक्षा में अंतर ) 

नमस्कार मित्रों, आज हमारे द्वारा आपको मूल्यांकन और परीक्षा में अंतर ” के बारे में विस्तार से बताया जायेगा . इसके लिए सबसे पहले आपको मूल्यांकन और परीक्षा क्या है इसके बारे में भी बताया जायेगा . और अधिक जानकारी के लिए पोस्ट को अंत तक पढ़ें –

Mulyankan or Pariksha me Antar

अगर आप भी बीएड के छात्र है या फिर किसी अन्य जानकारी हेतु मूल्यांकन और परीक्षा में अंतर देख रहें है तो इस लेख में आपको सारी जानकारी विस्तार से दी गयी है –

Mulyankan or Pariksha me Antar

मूल्यांकन का अर्थ (Meaning of Evaluation)

मूल्यांकन की प्रक्रिया के द्वारा किसी कार्य का मूल्य निर्धारित किया जाता है । मूल्यांकन के माध्यम से यह ज्ञात किया जाता है कि क्या शिक्षण-विधि, जो शिक्षण में प्रयुक्त की जा रही है, वह उपयुक्त है? अध्यापक ने अपने प्रयासों में किस सीमा तक सफलता प्राप्त की है? छात्रों ने किसी सीमा तक प्रगति की है? इत्यादि विभिन्न प्रश्नों की सफलता का मापन करना ही परीक्षा का सर्वप्रमुख उद्देश्य होता है।

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परीक्षा का अर्थ (Meaning of Examination)

विद्यालयों में यह शब्द विशेष रूप से प्रचलित है परीक्षण करना, जाँच करना, अच्छाई, बुराई, गुण-अवगुण आदि देखना ‘परीक्षा है। किसी भी
वस्तु, व्यक्ति के बारे में कुछ कहने पर यह कहा जाता है कि विश्वास न हो, तो परीक्षा करके देख लो। विद्यालयों में सम्पूर्ण पाठ्यक्रम की सम्प्राप्ति की मौखिक व लिखित रूप में जाँच करना परीक्षा है। मौखिक, अर्द्धवार्षिक (लिखित), वार्षिक परीक्षा (लिखित) के बाद छात्र की सम्प्राप्ति के
आधार पर निर्णय किया जाता है। परीक्षा कई तरह से सम्भव है। एक विद्वान् ने लिखा है – सोने मनुष्य की परीक्षा चार तरह से की जाती है.

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मूल्यांकन और परीक्षा में अंतर

Mulyankan or Pariksha me Antar निम्न है -:

  • परीक्षा का क्षेत्र मूल्यांकन की अपेक्षा संकुचित होता है। जबकि मूल्यांकन का क्षेत्र अत्यधिक व्यापक एवं विस्तृत होता है.
  • परीक्षा वर्ष में निश्चित समय (सामायिक) पश्चात् आयोजित की जाती है। उदाहरणार्थ: वार्षिक, अर्द्धवार्षिक, मासिक आदि । जबकि मूल्यांकन एक सतत् प्रक्रिया है, जो कि निरन्तर चलती रहती है।
  • परीक्षा द्वारा बालक की केवल शैक्षिक योग्यताओं एवं कुशलताओं के मान निर्धारित किए जाते हैं। जबकि मूल्यांकन इसके द्वारा बालक के सम्पूर्ण व्यक्तित्व तथा व्यवहार का निर्धारण किया जाता है।
  • मूल्यांकन के अपेक्षा परीक्षा कम विश्वसनीय तथा वैध होती है। जबकि मूल्यांकन अधिक विश्वसनीय तथा वैद्य होता है।
  • परीक्षा मुख्यतः लिखित, मौखिक तथा प्रयोगात्मक होती है। जबकि मूल्यांकन  में विभिन्न विधियों तथा प्रविधियों का प्रयोग करके बालक के सम्बन्ध में सूचनाएँ एकत्रित की जाती हैं।
  • परीक्षा द्वारा प्राप्त निष्कर्ष परिमाणात्मक होते हैं।जबकि मूल्यांकन द्वारा प्राप्त निष्कर्ष परिमाणात्मक होने के साथ-साथ गुणात्मक भी होते हैं।
  • परीक्षा का उपयोग वर्गीकरण तथा क्रमोन्नति के लिए ही किया जाता है। जबकि मूल्यांकन का उपयोग वर्गीकरण के साथ-साथ शैक्षिक निदान, छात्रों का मार्गदर्शन तथा पूर्व कथन करने के लिए किया जाता है।

निष्कर्ष

इस पोस्ट के माध्यम से आपको ” Mulyankan or Pariksha me Antar (मूल्यांकन और परीक्षा में अंतर ) ” के बारे में सम्पूर्ण जानकारी दे दी गयी है . अगर आप कुछ और जानना चाहते है तो हमें कॉमेंट्स करे .

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