मूल्यांकन की विधियाँ, तकनीक, प्रविधियाँ [Mulyankan ki Vidhiyan] इन हिंदी

मूल्यांकन की विधियाँ, तकनीक, प्रविधियाँ Mulyankan ki Vidhiyan in Hindi (मूल्यांकन की प्रविधियां)

आज हमारे द्वारा आपको इस पोस्ट के माध्यम से ” मूल्यांकन की प्रविधियां/विधाएं/ तकनीक “  इत्यादि के बारे में जानकारी देने जा रहे है ,अगर आप भी mulyankan ki vidhiyan समझना चाहते है तो पोस्ट को पूरा देखें ।

मूल्यांकन की विधियाँ [Mulyankan ki Vidhiyan]

मूल्यांकन की विधियों के बारे में आपको नीचे बताया जा रहा है –

निरीक्षण या अवलोकन

निरीक्षण के द्वारा बालकों के सामाजिक विकास, संवेगात्मक स्थिरता तथा बौद्धिक (मानसिक) परिपक्वता के बारे में पता चलता है। इसके माध्यम से बालक में विकसित रूचियों, अभिवृत्तियों, क्षमताओं तथा कौशल (Skill) का सही  मूल्यांकन किया जा सकता है।

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साक्षात्कार

किसी व्यक्ति से आमने-सामने वातालाप करके सूचना एकत्रित करना साक्षात्कार कहलाता है। साक्षात्कार-पत्र में सभी प्रश्न उद्देश्यनिष्ठ होते हैं।साक्षात्कार से सूचना प्राप्त होने के अतिरिक्त बालक या व्यक्ति की रूचि में वृद्धि, व्यक्तिव एवं मनोवृत्ति (भावनाएं) में परिवर्तन का पता चलता है।इसके द्वारा छात्र के प्रस्तुतीकरण के आधार पर उसकी उपलब्धियों का मूल्यांकन किया जाता है।

मूल्यांकन की विधियाँ, तकनीक, प्रविधियाँ  [Mulyankan ki Vidhiyan] इन हिंदी
मूल्यांकन की विधियाँ

पड़ताल सूची या चेकलिस्ट 

पड़ताल सूची या चैकलिसट द्वारा सही बिन्दु के आधार पर छात्र की क्रियाओं एवं व्यवहार का मूल्यांकन किया जाता है। इसके द्वारा
मूल्यांकनकर्ता छात्रों की क्रियाओं और व्यवहार के सम्मुख हाँ या नहीं लिखकर अथवा सही (२) अथवा (x) का निशान लगाकर उनकी उपयुक्ता को जाँचता है। इस प्रकार बहुत कम समय, श्रम और स्थान में छात्र से सम्बन्धित पूरा अभिलेख (Record) तैयार हो जाता है।

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प्रश्नावली (Questionnaire)

छात्रों में अनेक प्रकार की सूचनाएँ प्राप्त करने के लिए प्रश्नावली का उपयोग किया जाता है। इसमें प्रश्न उद्देश्य एवं लक्ष्यों से सम्बंधित होते हैं।
उत्तर देने वाले व्यक्ति को प्रश्न पढ़कर केवल चिन्ह लगाना होता है या कहीं कुछ शब्द लिखने होते हैं। प्रश्नों के उत्तर (अनुक्रिया) से बालक के ज्ञान, अभिरूचि तथा अभिवृत्ति का पता लग जाता है।

क्रम निर्धारण मान या रेटिंग स्केल (Rating Scale)

यह सदैव व्यक्तिगत ही होती है। इसके द्वारा उन विभिनन परिस्थितियों या विशेषताओं का मूल्यांकन किया जाता है जो बालक की किसी विशेष क्षेत्र (Field or Area) की कुशलताओं की जाँच, उसके व्यवहार की प्रगति विभिन्न मात्रा में प्रस्तुत की जाती है। यह मापनी सामान्यतयाः 0.1,2,3,4,5 या 0 से 7 आदि होती है

संचित अभिलेख (Cumulative Records)

विद्यालय के छात्रों को व्यक्तिगत सम्बन्धी तथ्यपरक जानकारी देने के लिए अभिलेख रखना मूल्यांकन हेतु आवश्यक है। इसके द्वारा बालकों के घर तथा विद्यालय सम्बन्धी सूचना का मूल्यांकन सम्भव होता है। आकस्मिक अभिलेख या घटनावृत/कथापूर्ण प्रपत्र (Anecdotal Record) द्वारा किसी छात्र का कोई विशेष व्यवहार हुआ हो तो उसका अभिलेख (औपचारिक मूल्यांकन) रखा जाता है।

छात्रों की डायरियाँ (दैनन्दिनी), शिक्षक द्वारा तैयार किए हुए घटनावृत्त तथा संचित अभिलेख पत्र भी मूल्यांकन के महत्वपूर्ण साधन हैं। छात्रों को उनकी श्लाघा (Appreciation) रूचि, मनोवृत्ति, व्यक्तिगत एवं सामाजिक समस्याओं का पता चलता है।

छात्र उत्पादित साधन (Pupils Products)

छात्रों द्वारा बनाई गई वस्तुएँ, तस्वीरें, चार्टस, मॉडल व संग्रह आदि छात्र उत्पादित साधन कहलाते हैं जिनके द्वारा छात्रों की रूचियों एंव रूझानों का पता चलता है।

सामयिक जाँच पत्र (Periodical Test)

छात्रों की समय-समय पर होने वाली उपलब्धि ज्ञात करने के लिए सामयिक जाँच-पत्रों के माध्यम से सामयिक जाँच का आयोजन किया जाता है। यह सम्पूर्ण व अन्तिम परीक्षा नहीं होती है। छात्र की व्यक्तिगत सम्बन्धी तथ्यपरक जानकारी देने के लिए अभिलेख रखना मूल्यांकन हेतु आवश्यक है। इसके द्वारा बालकों के घर तक विद्यालय की सूचना का मूल्यांकन सम्भव होता है।

व्यक्तिवृत अध्ययन (Written Examination)

किसी बालक की विलक्षणता का पिछड़ेपन को समझने हेतु परिवार का, इष्ट-मित्र, भाई-बहिन, रिश्तेदारों से सावधानी-पूर्वक सूचनाएँ संग्रहीत की जाती हैं तथा सम्बन्धित को विश्वास में लेकर ही तथ्यों की जांच की जाती है जिससे छात्र की कठिनाइयों के कारण ज्ञात हो जाते हैं और फिर इन कठिनाइयों को दूर करने की योजना बनाई जाती है।

समाजमिति (Written Examination)

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और जैसा व्यवहार समाज में रहकर वह करता है उसका मूल्यांकन भी उसके द्वारा व्यक्त परिस्थिति
विशेष के व्यवहार से किया जा सकता है। सजीव परिस्थितियाँ बालक की मनोवृत्तियाँ को यथासम्भव प्रकट कर देती हैं। तथा क्रिया-प्रतिक्रिया के स्वरूप का निर्धारण भी करती हैं.

जिन्हें देखकर उनका वर्गीकरण मूल्यांकन सम्भव है। समाजमिति विधि द्वारा व्यक्ति का समाज में क्या स्थान है, यह पता लग सकता हैं एण्ड तथा विलि के अनुसार, “समाजमिति एक रेखाचित्र है जिसमें कुछ चिन्ह और अंक किसी सामाजिक समूह के सदस्यों द्वारा सामाजिक स्वीकृति तथा
त्याग को प्रदर्शित करने के लिए प्रयुक्त होते हैं। समाजमिति द्वारा एक समूह के सदस्यों में पारस्परिक मित्रता का पता लगाया जा सकता है।

निष्कर्ष 

इस पोस्ट के माध्यम से आपको ” Mulyankan ki Vidhiyan” के बारे में विस्तार से बतया गया है , अगर आप कुछ और जानना चाहते है तो हमें कॉमेंट्स करे . इसके अतिरिक्त अगर आप मूल्यांकन की विधियाँ, तकनीक, प्रविधियाँ में कुछ जानकरी देना चाहते है तो हमसे जुड़ें.

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