मापन और मूल्यांकन में अंतर ( Diffrence Between Measurement Evaluation)
मापन और मूल्यांकन को समझने के लिए आपको हमारे द्वारा परिभाषा और विस्तृत विवरण इस लेख में बताया जा रहा है .
Mapan aur Mulyankan Mein antar in Hindi
अगर आप भी मूल्यांकन और मापन में अंतर हिंदी में समझना चाहते है तो यहां पर आपको हमारे द्वारा सभी सामग्री बिल्कुल सही तरीके से समझाई जा रही है। आपको अंतर और परिभाषा नीचे दी जा रही है –
मापन की परिभाषायें ( definations of Measurement)
मापन को जानने के लिए आपको कुछ परिभाषाएं दी जा रही है ,जिससे आप मापन को अच्छे से समझ सकते है .
केंपबेल के अनुसार,
“मापन नियमों के अनुसार वस्तुओं या घटनाओं के अंक प्रदान करना है। “
डब्ल्यू. एच. एंगोफ के अनुसार,
“मूल्यांकन किए जाने वाली वस्तु के साथ मापन के प्रयोग की प्रक्रिया को ही मापन कहते है। “
एफ. एन. कार्लिंजर के अनुसार ,
“मापन नियमानुसार वस्तुओं या घटनाओं की संख्या प्रदान करता है “
इसे भी पढ़ें – कारण और विश्वास में अंतर
मूल्यांकन की परिभाषाएं
कोठरी आयोग के अनुसार ,
“मूल्यांकन एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। यह समस्त शिक्षा क्रम का महत्व पूर्ण अंग है। इस प्रकार इसका शैक्षिक प्राप्य उद्देश्यों से घनिष्ठ संबंध है। “
जे.डब्ल्यू. राईट स्टोन के अनुसार ,
“मूल्यांकन वह नवीन प्राविधिक पद है ,जो मापन के व्यापक प्रत्यय को प्रस्तुत करता है।”
डांडेकर के अनुसार ,
“मूल्यांकन हमे बताता है की बालक ने किस सीमा तक किन उद्देश्यों को प्राप्त किया है ।”
मापन और मूल्यांकन में अंतर mapan aur mulyankan mein kya antar hai ?
मापन और मूल्यांकन के अंतर नीचे दिए जा रहे है –
- मूल्यांकन का क्षेत्र अत्यन्त व्यापक है। जबकि मापन का क्षेत्र सीमीत होता है
- छात्र के सम्पूर्ण व्यक्तिव के सम्बन्ध
में मूल्य का अंकन करता है। जबकि मापन व्यवहार के कुछेक आयामों को ही प्रतीक प्रदान करता है। - मूल्यांकन के लिए अधिक समय, श्रम,
साधन तथा धन की आश्यकता पड़ती
है। यह एक साध्य है। जबकि मापन के लिए अधिक समय, श्रम, साधन व धन आदि की आवश्यकता नहीं होती है। - मूल्यांकन के द्वारा छात्र की स्थिति की
तुलनात्मक अध्ययन सम्भव होता है। जबकि मापन के द्वारा तुलनात्मक अध्ययन सम्भव नहीं है। क्योंकि व्यक्तिगत पक्ष की जानकारी होती है। - मूल्यांकन में अंक प्रदान करने बाद
मूल्यों का निर्धारण (परिवर्तन में सुधार)
किया जाता है। जबकि मापन का कार्य केवल अंक प्रदान (मापना) करना ही है। - छात्र के सम्बन्ध में सार्थक
भविष्यवाणी की जा सकती है। जबकि मापन के द्वारा सार्थक भविष्यवाणी संभव नहीं है। - मूल्यांकन का अर्थ उस वस्तु के मूल्य (गुणात्मक व परिमाणात्मक) से है जो उद्देश्यनिष्ट होता है। जबकि मापन का अर्थ वस्तु की केवल मात्रा (परिमाणात्मक) से है। यह भी उद्देश्यनिष्ठ होता है।
- छात्र के सम्बन्ध में सम्पूर्ण व्यक्तिव सम्बन्धी स्पष्ट धारणा बनायी जा सकती है। जबकि व्यक्तिव के सम्बन्ध में स्पष्ट धारणा का निर्धारण नहीं किया जा सकता है।
- इससे संख्यात्मक तथा वर्णात्मक व्याख्या की जा सकती है। जबकि इसमें केवल संख्यात्मक व्याख्या ही की जा सकती है।
- यह अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है। जबकि यह सामयिक जाँच हेतु प्रयुक्त की जा सकती है।
- इसमें व्यवहार परिवर्तन हेतु शिक्षा के
‘उद्देश्य की प्राप्ति का लक्ष्य रहता है।
(उद्देश्यों पर आधारित) जबकि उद्देश्य की प्राप्ति का साधन या आधार है। पाठ्यवस्तु से सम्बन्धी उपलब्धिका परीक्षण किया जाता है। (पाठ्यवस्तु पर आधारित) - मूल्यांकन एक नवीन धारणा है जबकि मापन एक प्राचीन अवधारणा है।
- मूल्यांकन का स्वरूप प्राविधिक है। जबकि मापन एक साधारण पद है।
- मूल्यांकन के द्वारा साक्ष्यों के निष्कर्ष निकाले जाते हैं जबकि मापन द्वारा संख्यायों को एकत्रित कििया जा सकता है।
- इसके द्वारा निदानात्मक तथा उपचारात्मक शिक्षण सम्भव है। जबकि इसके द्वारा निदानात्मक तथा उपचारात्मक शिक्षण संभव नहीं है।
अंतिम शब्द
हमारे द्वारा आपको ” मापन ओर मूल्यांकन के अन्तर ” के बारे में अच्छी जानकारी उपलब्ध करवाई है । अगर आप कुछ और जानने के इच्छुक है तो हमें कमेंट्स करे।
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